गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

परदे लिहाफ बदलकर भी कुछ नहीं बदला...
साल बीत रहा है। सरकार का भी एक साल बीत गया। इस शहर की उम्र भी एक साल बढ़ गई। साल बीतने की आजकल खुशी मनाई जाती है बिल्कुल उसी तरह जैसे नया साल आने की। एक साल इस शहर को कई नए रंग दिखा गया। इसे आमतौर पर चुनावी साल कहा जाता है क्योंकि तीन चुनाव हुए है इसमें। जाहिर है चुनाव हो तो बाकी काम बंद, चुनाव आचार संहिता के नाम पर ऐसा होता है। एक बार इसकी पड़ताल भी की गई पर पता नहीं चला कि आचार संहिता के नाम पर बेवजह जनहित के कई काम क्यों रोके जाते हैं। यह सवाल इस बार भी उत्तरहीन रहा है।
साल 2009 ने केन्द्रीय विवि, हाइकोर्ट की बैंच, पूरा रवीन्द्र रंगमंच, रेलवे बाइपास, रिंग रोड़ सहित अनेक आशाएं जगाई थी मगर यहां के लोग इन मामलों में केवल हाथ मल रहे हैं। केवल हालात के नाम पर खंडित हुए सपनों का दर्द व्यक्त कर रहे हैं। हर किसी के जेहन में सवाल है कि इन सबके लिए हम काबिल थे फिर भी हमें वंचित क्यूं रखा गया। सवाल तो है मगर किससे किया जाए और कौन उत्तर देगा, इसका पता नहीं है। ये सवाल अब हरेक की अçस्मता से जुड़ गए हैं इसे राज और काज समझ नहीं रहे हैं। काबिल आदमी अपनी नाकामी को अधिक दिन तक सहन नहीं कर सकता और अस्मिता के मामले में तो वह हदें पार करने से भी परहेज नहीं करता।जाता साल संकेत दे रहा है कि आने वाला साल स्थानीय मुद्दों के आंदोलन का साल हो सकता है। समय रहते इन पर ठोस बात नहीं हुई तो हालात फिर काबू में नहीं रह पाएंगे।
आशाओं ने पंख फैलाए हैं
शहर की सरकार इस बार सीधे मतदान से बनी है तो लोगों की आशाओं ने भी विस्तार लिया है। पहले की तरह महापौर पार्षदों के दबाव में नहीं रहेंगे, राजनीति के कमजोर समझौते भी नहीं करने पड़ेंगे। निगम की माली हालत खराब है, सफाई कर्मचारियों की भर्ती नहीं हो रही, बजट के अभाव में निर्माण के काम शुरू नहीं हो रहे, कच्ची बस्तियों की केन्द्रीय योजनाएं लागू नहीं हो पा रही। इन सबसे निदान की जिम्मेवारी नए बोर्ड पर है। जाहिर है राज्य सरकार से बीकानेर के लिए विशेष पैकेज मिलने पर ही आर्थिक दशा में सुधार संभव है। नये महापौर ने सकारात्मक संकेत तो दिए हैं पर उनकी जल्द परिणिति भी आवश्यक है।
जाना एक रंगकर्मी का
बीकानेर रंगमंच पर अपनी हाजिर जवाबी व मसखरे अंदाज से खास पहचान बनाने वाले कलाकार बी आर व्यास पंचतत्व मे विलीन हो गए। नाटक और सुगम संगीत की दुनिया में शहर उनका नाम आदर से लेता है क्योंकि पूरी तरह अव्यावसायिक रहकर इस कलाकार ने पूरा जीवन रंगकर्म को दिया। दमदार आवाज और आंगिक अभिनय में बेजोड़ था यह रंगकर्मी। संकल्प, नट संस्थान के अलावा शहर की हर संस्था को निस्वार्थ सहयोग देने वाले इस कलाकार का साल के अंत में जाना कला जगत को बड़ी क्षति है।भूमिका, इंसपेक्टर मातादीन चांद पर, पोस्टर, फितरती चोर, तीड़ोराव, हत्यारे सहित मंचीय नाटकों के अलावा इस कलाकार ने नुक्र्ड नाटकों में भी अभिनय किया। इस कलाकार की चाह भी रवीन्द्र रंगमंच को पूर्ण देखने की थी पर वो अधूरी ही रह गई। डॉ. प्रभा दीक्षित की पंक्तियां याद आती है-
परेद लिहाफ बदलकर भी कुछ नहीं बदला, अपने को कर बहाल नया साल आ रहा। दिल की उदासियों को भी आंचल में छिपाकर, नाचेगा नया काल नया साल आ रहा।

1 टिप्पणी:

  1. Thank You Very Much Madhu Sir, For Write these lines "Jana Ek Rangkarmi Ka" in your Articale. Lt. Mr. B.R.Vyas was My Father and me and my family are really want you to thank for your imoional support that's we need. I hope your blessings are with us forever. thank you very much. Yogender Vyas your orkut frend.

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