बुधवार, 2 दिसंबर 2009

खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही ...
रुथानीय सरकार चुनने में ऐसा उत्साह इस मरुनगरी में पहली बार देखने को मिला है। अब तक दल नगर निगम का मुखिया चुनते आए थे लेकिन जनता को यह हक पहली बार मिला है। आदमी के पास मूलभूत सुविधाएं होगी और वो सामाजिक-राजनीतिक तौर पर सुरक्षित होगा तभी विकास की बात सोचेगा। इस स्थिति में उसे केवल स्थानीय सरकार ला सकती है, ये सोचने का जज्बा उसमें पहली बार नजर आ रहा है। बेतरतीब नगरीय विकास ने उसका हर दिन-हर पल खराब किया हुआ है। निगम की योजनाओं का लाभ लेने की बात तो पीछे छूट जाती है क्योंकि उसे हर दिन अपने मोहल्ले की सफाई व सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था से लड़ना पड़ता है। ऐसे अनेक मुद्दे हैं जो हर आदमी के रोज के जीवन से जुड़े हैं जिनके हल होने की आस पहले के सिस्टम ने तोड़ दी थी मगर महापौर के सीधे चुनाव ने उसकी उम्मीद को फिर लौ दिखाई है। इस लौ को देख अन्य पदों के लिए तैयार होने वाले चुनावी धुरंधरों को अभी से सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि हक को लेकर जब जनता जागती है तो फिर वो जनप्रतिनिधि को उसके का भान भी कराने से नहीं चूकती। क्वभास्करं के पçब्लक मेनीफेस्टो व जन सर्वेक्षण में हुई भागीदारी व आई जनता की बातें गुणीजनों को इस बात के लिए तो आश्वस्त करती ही है कि अब विकास यहां की पहली जरूरत है, इस पर हर जनप्रतिनिधि को खरा उतरना ही पड़ेगा। जनता के चेहरो पर आए भाव भविष्य को लेकर एक नई आशा, नई दिशा और नये ख्वाब की ताबीर का अहसास करा रहे हैं। लोकतंत्र को नमन।
खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए।

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