मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

हरीश भादानी को नमन
शब्द ढूंढेंगे संस्कार का जरिया
शब्द से पहले खुद को संस्कारित होना पड़ता है। उसके बाद उस शब्द को संस्कारित करना होता है फिर वो अभिव्यक्ति का माध्यम बनता है। लोगों के दिल तक पहुंचता है। आजीवन शब्द की साधना करने वाले शब्द शिल्पी हरीश भादानी ने इसी धारणा पर हिन्दी व राजस्थानी को कई नए शब्द गढ़कर दिए। शब्द उनकी जुबान या कलम पर आते ही अपनी पहचान, भाव व संवेदना पाता था। सीधी जुबान में आम आदमी तक गहरी बात पहुंचाने का कवि के पास जरिया केवल शब्द होते हैं और भादानी के पास यही सबसे बड़ा शस्त्र था। आज के बाद कई शब्द संस्कार पाने को भटकेंगे। शब्दों का ऐसा चितेरा कहां मिलेगा जिसके पास शब्दों व भावों को एकमऐक करने की बळतं हो।
शब्दों के इस शिल्पकार की इसी खासियत के कारण कुछ उन्हें गीतकार कहते थे तो कुछ कवि। कुछ नाटककार कहते थे तो कुछ कहानीकार। शब्दों की इसी कारीगरी के कारण वे राजनीतिक विचारक बने। अपने साहित्य में जहां उन्होंने विचार को धरातल दिया वहीं उसके कलात्मक पक्ष को कभी कमजोर नहीं होने दिया। कथ्य व शिल्प का सही मिलाप उनकी हर रचना में था। नई पीढ़ी के वे संवाहक थे इसीलिए शहर का नव साहित्य अपने बचपन में ही जवान नजर आता है। शब्द की बाजीगिरी तो कई दिखाते हैं मगर शब्द को जीने वाले बिरले ही होते हैं। विचार उनके लिए जीने का तरीका था तो शब्द उनकी सांसें। साहितियक गोष्ठियों, परिचर्चाओं व मंचीय कवि सम्मेलनों को ऊर्जा देने वाले इस इंसान की याद तो कभी नहीं मिटेगी। सड़कवासी राम के इस रचयिता को मिले सभी पुरस्कार उनके सामने बौने थे। उनको तो सड़क, चौक, चौपाल पर कविता पढ़ने में आनंद आता था। गांवों की चौपाल में घरबीती रामायण सुनाते वे समाजशास्त्री बन जाते थे तो नष्टोमोह उनको मनीषी साबित करा देती थी। जीवन जीया पर एक जैसा कभी उसे परिस्थिति के अनुसार नहीं बदला। उन्होंने एक कविता में कहा भी है अब बदलो तो गुनहगार हो हरीश, वहीं रंगत, वहीं ख्याल, वहीं राह है हरीश...। बदला तो परिवेश, हालात और उनके आसपास के लोग, भादानी कभी नहीं बदले। अंतिम सांस तक भी कुछ कहने की बळत बताती है कि शायद वे मौत को भी नया संस्कार देने की जिद रखते हैं। तभी तो देह का दान किया पंचतत्व में विलीन करने की इच्छा त्यागी। शब्द के संस्कारी का जाना एक साहितियक युग का अंत होने के समान है जिसकी भरपाई होनी मुश्किल है, यह सत्य है सिर्फ कहने की बात नहीं है।

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