इस हिमालय से अब कोई गंगा निकलनी चाहिए
रियासतकाल में अपनी आर्थिक, शैक्षिक व राजनीतिक मजबूती के कारण बीकानेर सबकी आंखों का तारा था। विलीनीकरण हुआ और बीकानेर को शिक्षा की राजधानी बनाया जाना तय हुआ। राजशाही ने उसके लिए अपने भवन व मदद खुले मन से दिए। कालांतर में राजनीतिक आवाज़ कम होने के कारण यंहा से शिक्षा के मुख्यालय जाते रहे। शैक्षिक दृष्टि से हम देखें तो राज्य में सबसे पिछड़ा हुआ बीकानेर है। शैक्षिक असंतुलन ने यंहा की अस्मिता को झकझोरा है, अब तो हर किसी के दिल का दर्द जुबां पर आने लगा है। राजनीतिक जद्दोजहद के बाद लुंजपुंज महाराजा गंगासिंह विवि मिला जो अब भी अपनी प्रतिस्थापना के लिए जूझ रहा है।
आईआईटी, आईआईएम, केन्द्रीय विवि खुलने की संभावना ने बीकानेर के लोगों की उम्मीदों के पंख लगाये हैं। नॉर्म्स पर हर चीज यंहा उपलब्ध है। आवश्यकता बस राज की इच्छाशक्ति की है। आधुनिक युग का यह पहला व शायद अन्तिम अवसर है जिससे बीकानेर के शैक्षिक असंतुलन को दूर किया जा सकता है।
इन संस्थानों के लिए जैसा शांत वातावरण चाहिए वह तो बीकानेर की खासियत है। शायर ने कहा है, मेरा दावा है की सारा ज़हर उतर जाएगा- दो दिन मेरे शहर में ठहर कर तो देखो। खुली जमीन है तो इंदिरा गाँधी नहर से पानी भी पूरा मिलता है। राज की तरफ़ टकटकी लगाकर मांग रखने वालों में केवल राजनीतिक क्षेत्र के लोग शामिल नहीं है, इस बार यंहा का हर वर्ग संतुलन की चाह के साथ मुखर है। वह जानता है, अभी नहीं तो कभी नहीं। सारे निर्णय राजनीतिक आधार पर न हो इसकी पहल नए माहौल में की जानी चाहिए। बीकानेर को उसका हक़ मिले, ये शहर की नहीं वरन समय की मांग है। संघर्ष के रास्ते अपना हक़ हासिल करना यह शहर जानता है मगर अब उसका रवैया सकारात्मक है।
तर्कों- तथ्यों के आधार पर बन रहे हक़ को पाने के लिए यंहा के लोग अब शालीनता बरत रहे हैं। हर बड़ा संस्थान उस जगह खुले जंहा पहले से ही कई संस्थान हैं, इसे सही नहीं माना जा सकता। छोटी काशी के लोग इस बार शिक्षण संस्थान पाने के लिए अधीर हैं। यदि इस बार दिल टूटा तो उसकी आवाज़ दूर तलक जायेगी। याचक नहीं हैं यंहा के लोग मगर उम्मीदों के सहारे जीते हैं।
हो गई पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए- की तरह उम्मीद है नगरवासियों को। संस्थान खोलने के स्थान का अध्ययन करने आई समिति तथ्यों-तर्कों के अलावा इन भावों को भी पढ़ेगी तो उसे सही निर्णय तक पहुँचने में आसानी रहेगी।
शनिवार, 30 मई 2009
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madhuji,
जवाब देंहटाएं**jab janprtinidi bhi kuch nahi kar paate
tab saari aasha akhbaro se hi ki jaati hai.
**aap ke saarthk lekhan se pure sambhaag
ka bhala hoga.
**is abhiyan ko aandolan ka roop de.
.....kirti rana
चलो बेहतर है...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं..
haa thik hi kaha,,,or bhi naye khyaal likhte rahe,,,
जवाब देंहटाएंdeepak
aap aa gaye,aane ka swagat. govind goyal sriganganagar 09414246080
जवाब देंहटाएंswaagat hai...
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